आप सभी भारतवासियो को 2019 की होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ। होली हिन्दुओ का प्रमुख ओर धार्मिक त्योहार है, तभी तो होली हमारे भारतीय परंपरागत रुप से चली आ रही है।होली हिन्दुओं का श्रेष्ट त्योहार है,यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं। होली का इतिहास इतना पुराना है कि ये बता पाना मुश्किल है कि हमारे भारतीय परंपरा मे होली कब से मनाई जा रही है।
परंतु इतिहास मे होली को मनाने के ऐसे बहुत से कहानी सुनने को मिलते है, जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी हिरण्य कश्यप पुत्र "प्रहलाद" की है। आज मे आपको बताऊँगा कि भारतीय इतिहार,कुरान,भागवत गीता के कहे गए अनुसार होली क्यों मनाई जाती है।
हिरण्य कश्यप एक बहुत बड़ा असुर था, जिसने अपने कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी से अपने ना मरने का वरदान पा लिया था।उसके बाद उसने अपने पूये राज मे ये घोषणा करवायाँ दिया कि आज से सभी उनके राजा हिरण्य कश्यप की पूजा करेगे, भय के कारण सभी ग्रामीण वासी उसकी पूजा करने लगे। परंतु उसका पूत्र प्रहलाद विष्णुजी का बहुत बड़ा भक्त था। यह बात उसके पिता हिरण्य कश्यप को बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी, वह चाहता था कि अन्य सभी की भाँति उसका पुत्र भी उसकी पुजा करे , अर्थात ईश्वर का दर्जा दे।
परंतु ऐसा ना होने पर उसके पिता हिरण्य कश्यप क्रोध मे आकर कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की ,एक बार हिरण्य कश्यप ने अपने सैनिको को आर्देश देकर प्रहलाद को पहाड़ से नीचे गिरवाने का आर्देश दिया परंतु वह असफल रहा। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया । फिर एक बार हिरण्य कश्यप की बहन होलिका ने कहाँ कि उसे भगवान शिव से आग मे ना जलने की शक्ति प्रदान है।
फिर एक योजना बनाकर होलिका ने प्रहलाद को गोद मे लेकर आग के पास बैठ गई ताकि आग मे जलकर भस्म हो जाएँ परंतु बनाएँ गए योजना के विपरित सब कुछ हुआ। प्रहलाद की जान बच गई और होलिका आग मे जलकर भस्म हो गई।
उसी दिन से होली का त्योहार पूरे भारतवर्ष मे बड़े धुमधाम से मनाया जाने लगा। हमारे साइट्स को सब्सक्राइब करे।
परंतु इतिहास मे होली को मनाने के ऐसे बहुत से कहानी सुनने को मिलते है, जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी हिरण्य कश्यप पुत्र "प्रहलाद" की है। आज मे आपको बताऊँगा कि भारतीय इतिहार,कुरान,भागवत गीता के कहे गए अनुसार होली क्यों मनाई जाती है।
हिरण्य कश्यप एक बहुत बड़ा असुर था, जिसने अपने कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी से अपने ना मरने का वरदान पा लिया था।उसके बाद उसने अपने पूये राज मे ये घोषणा करवायाँ दिया कि आज से सभी उनके राजा हिरण्य कश्यप की पूजा करेगे, भय के कारण सभी ग्रामीण वासी उसकी पूजा करने लगे। परंतु उसका पूत्र प्रहलाद विष्णुजी का बहुत बड़ा भक्त था। यह बात उसके पिता हिरण्य कश्यप को बिल्कुल भी अच्छी नही लगती थी, वह चाहता था कि अन्य सभी की भाँति उसका पुत्र भी उसकी पुजा करे , अर्थात ईश्वर का दर्जा दे।
परंतु ऐसा ना होने पर उसके पिता हिरण्य कश्यप क्रोध मे आकर कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की ,एक बार हिरण्य कश्यप ने अपने सैनिको को आर्देश देकर प्रहलाद को पहाड़ से नीचे गिरवाने का आर्देश दिया परंतु वह असफल रहा। भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को बचा लिया । फिर एक बार हिरण्य कश्यप की बहन होलिका ने कहाँ कि उसे भगवान शिव से आग मे ना जलने की शक्ति प्रदान है।
फिर एक योजना बनाकर होलिका ने प्रहलाद को गोद मे लेकर आग के पास बैठ गई ताकि आग मे जलकर भस्म हो जाएँ परंतु बनाएँ गए योजना के विपरित सब कुछ हुआ। प्रहलाद की जान बच गई और होलिका आग मे जलकर भस्म हो गई।
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Write Post a CommentBhut ache
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